गाजीपुर: कल्पना कीजिए कि आप जनवरी की इस ठंड में कश्मीर में हैं और बर्फबारी में फंस जाइए। वो भी एक दो घंटे के लिए नहीं बल्कि पूरे 5 दिन तक। ऊपर से खाने खरीदने का पैसा भी खत्म हो जाए। कल्पना करते ही देह में सिहरन दौड़ने लगती है। लेकिन ये महज कल्पना नहीं है। गाजीपुर के 11 लोगों की ये असली वाली कहानी है, जो पिछले दिनों उनके साथ घटी। हालांकि इस कहानी का अंत सुखांत हुआ और सुखांत होने की वजह रहे जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा। जिन्होनें इस मामले को जानते ही अपने गृह जिले के इन सभी लोगों की मदद की। तत्काल रूप से सभी सरकारी तंत्रों को इनके बचाव में लगा दिया। जिसके बाद ही इन सभी की सुरक्षित घर वापसी संभव हो सकी।
कुलगाम में फंसे थे गाजीपुर के 11 लोग
गाजीपुर के 11 दोस्तों को उनकी कश्मीर यात्रा इस बार भारी पड़ गई। ये 11 लोग कश्मीर के कुलगाम में बर्फबारी में फंस गए। फंसे हुए 5 दिन बीत गए और रसद-पैसा सब खत्म हो गया। ऐसे में जब जान की आफत बन आई तो इन दोस्तों ने ट्विटर पर अपील शुरू की। ऐसे में इनके लिए देवदूत बनकर आए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा।
जानें कैसे मिली मदद

इन 11 लोगों में से एक आशीष यादव ने ट्विटर पर मदद मांगी थी। उन्होंने एलजी मनोज सिन्हा को टैग कर उनसे मदद मांगते हुए लिखा, ‘मैं आप लोगों से सादर अनुरोध करता हूं कि हम 11 लोग गृह जनपद गाजीपुर से पिछले 5 दिनों से कुलगाम श्रीनगर में बिना खाने पीने और पैसे के यहां फसे हुए हैं। श्रीमान से निवेदन है की हम प्रार्थी को यहा से अपने गृह जनपद जाने की व्यवस्था करें।’

जिसके बाद तत्काल रूप से मनोज सिन्हा ने अपने गृह जनपद के लोगों की मदद के लिए जम्मू कश्मीर के पूरे सरकारी तंत्र को इस काम में लगा दिया।
रेस्क्यू ऑपेरेशन के पूरा होने के बाद इन दोस्तों में से एक अरुण श्रीवास्तव ने ये पूरा वाकया ट्वीट कर बताया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘5 दिन से हम 11 दोस्त ग़ाज़ीपुर के रहने वाले श्रीनगर में बर्फ़बारी में फंसे हुए थे सड़क पर । जहाँ 3 डिग्री से भी कम temperature था। हमारे पास पैसे ख़त्म थे और अब खाने की भी परेशानी थी। उसके बाद हम लोगों ने मनोज सिन्हा जी के ग़ाज़ीपुर के एक सहयोगी से बात की । उन भैया ने हमारी बात मनोज सिन्हा जी तक तुरंत पहुँचायी और फिर मनोज सिन्हा जी ने हमारी मदद तुरंत की।

अरुण आगे लिखते हैं, ‘फिर हमारे पास सभी बड़े अधिकारियों का फ़ोन आया और हमें सड़क पर से ले जाकर एक सरकारी गेस्ट हाउस में जगह दी गयी । फिर अगले दिन हमारे पास वहाँ के एस॰पी॰ साहब का फ़ोन आया और हमें चेक पोस्ट पार करवा दिया गया । इस तरह से हमें एक नया जीवन मनोज सिन्हा जी ने हमारी जान बचा कर दिया।’
