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सरकार का यह फैसला निर्माण उद्योग के लिए होगा लाभकारी, मकान निर्माण के खर्च में मिलेगी राहत।

लौह सामग्री पर एक्सपोर्ट डयूटी लगाकर केंद्र सरकार ने छड़ की बढ़ रही कीमतों पर लगाम लगाने में सफलता हासिल की है। जिस प्रकार गेहूँ के निर्यात पर रोक लगाकर देश में गेहूँ की कीमतों को स्थिर किया गया ठीक उसी तरह लौह सामग्री पर एक्सपोर्ट डयूटी लगा दिया गया ताकि लौह सामग्री दूसरे देशों में कम से कम भेजी जाए। सरकार के इस निर्णय के बाद से ही घरेलू बाजारों में झारखंड के स्टील उद्योग सहित छड़, गिट्टी, सीमेंट के लगातार बढ़ रहे दाम घटने शुरू हो गए हैं।

सरकार के एक्सपोर्ट डयूटी लगाए जाने के फैसले के एक दिन बाद ही घरेलू बाजारों में स्पंज आयरन की कीमत में 2500 रुपये प्रति टन तथा आयरन पिलेट की कीमत में 4000 रुपये प्रति टन की गिरावट दर्ज की गई। स्टील और गृह निर्माण के समानों की कीमतें बढ़ने की वजह से आम जनता के साथ-साथ केन्द्र और राज्य सरकार के कई निर्माण कार्यों की गति भी धीमी हो गई थी बड़े-बड़े अपार्टमेंट से लेकर पुलों का निर्माण भी प्रभावित हुआ था इसलिए निश्चित तौर पर अब निर्माण कार्यों की रफ्तार में भी तेजी आएगी।

जानकारों की मानें तो निर्माण जगत से जुड़े इन सामानों की कीमतों में गिरावट लगातार कुछ दिनों तक जारी रहेगी, तैयार स्टील की कीमतों में 8-10 हजार रुपये प्रति टन की कमी आने की संभावना है। फेरो एलाय जैसे सिलिकान, मैगनीज आदि की कीमतों में एक माह से ही लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, लगातार बढ़ रहे इस अंतर में अब जाकर 20,000 रुपये प्रति टन तक की कमी आई है जिसकी वजह से आने वाले दिनों में विभिन्न ब्रांडों की सरिया के कीमतों में कमी देखने को मिलेगी।

पिछले छः महीने के भीतर स्टील की कीमतें 20 प्रतिशत तक बढ़ गई थी इसलिए सरकारी परियोजनाओं का टेंडर लेने वाली कंपनियों की ओर से लगातार सरकार से टेंडर की दरों में संशोधन करने की मांग की जा रही थी लेकिन अब दाम घटने की वजह से फिलहाल कंपनियों को राहत मिलने के आसार हैं।

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